vyapar aur bhumandalikaran class 10 history - easyadda.com

vyapar aur bhumandalikaran class 10 history

Table of Contents

व्यापार और भूमंडलीकरण | vyapar aur bhumandalikaran class 10 history Bihar board

व्यापार और भूमंडलीकरण | vyapar aur bhumandalikaran




वैश्वीकरण अथवा भूमंडलीकरण की अवधारणा विगत 5 दशकों में विकसित हुई है व्यापार यात्रा और धार्मिक प्रचार के माध्यम से विश्व के विभिन्न भाग एक दूसरे के संपर्क में आए।

व्यापार और भूमंडलीकरण इतिहास क्लास 10th बिहार बोर्ड notes

वैश्वीकरण अथवा भूमंडलीकरण सारे notes यहाँ उपलब्ध है। इस अध्याय में हम लोग व्यापार और भूमंडलीकरण के बारे में पूरी गहराई से जानेंगे।

आधुनिक काल के पूर्व वैश्विक संपर्क – 

मानव सभ्यता के विकास के साथ उन लोगों का सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध विश्व के विभिन्न भागों से बना संपर्क मुख्यता व्यापारियों यात्रियों पचारकों के माध्यम से बढा । अनेक लोग रोजगार के अवसर की तलाश में अपने देश से दूसरे देश गए।

जैसलमेर का व्यापार में महत्व

ईशा की आरंभिक सर्दियों में सबसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग था इसे रेशम मार्ग इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसी मार्ग द्वारा चीनी रेशम विभिन्न देशों तक ले जाया जाता था रेशम मार्ग चीन से आरंभ होकर जर्मनी मार्ग द्वारा मद्धेशिया होते हुए यूरोप तक जाता था मद्धेशिया से इसकी एक शाखा भारत की ओर आकर यहां के विख्यात व्यापारिक मार्ग उत्तरापथ से मिल जाती थी।

• भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के वस्त्र मसाले पदार्थ विश्व के विभिन्न भागों विरोध तक ले जाए जाते थे।

• व्यापारी इन्हें यूरोपीय बाजारों में ऊंची कीमत पर बेचकर वहां से सोना चांदी जैसे बहुमूल्य धातु प्राप्त करते थे।

आर्थिक महामंदी

1929 – 30 का वर्ष विश्व अर्थव्यवस्था के लिए संकट का वर्ष था इसी अवधि में आर्थिक महामंदी से संपूर्ण विश्व को अपने गिरफ्तार में ले लिया
• महामंत्री के कारण उत्पादन में कमी आई इसे व्यापार में भी कमी आई।
• उत्पादन और व्यापार में हराश से बेरोजगारी बढ़ गई।
• बेरोजगारी बढ़ने से लोगों की आय एक घट गई ऐसी स्थिति लगभग सभी देशों में हुई।
• ऐसा होने का प्रमुख कारण यह था कि औद्योगिक उत्पादन की तुलना में कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट आई यह गिरावट लंबे समय तक बनी रही

आर्थिक महामंदी के कारण

आर्थिक महामंदी के अनेक कारण थे –

1. कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन- प्रथम विश्व युद्धध के बा विश्व बाजार में खदानों की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो गई ऐसा कृषि उत्पादों में अत्यधिक भर्ती होने से हुआ उदाहरण केेे लिए गेहूं गेहूंं का अधिक उत्पापादन हुआ। इससे अनाज में भारी मूल्यय में कमी आई।

• इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ा

• उनकी आमदनी घटने लगी।

• अनाज खरीदने वाला नहीं रहा

• अनाज गोदामों में पड़ा पड़ा करने लगा

• इस प्रकार अधिक उत्पादन महामंदी का प्रमुख कारण बन गया।


2• उपभोक्ता की कमी – खदानों के अतिरिक्त अन्य उत्पादों का खरीदार भी घट गया प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एक और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है परंतु दूसरी और गरीबी बेरोजगारी और भुखमरी भी बढ़ी जिससे इन उत्पादों को खरीदने वाला नहीं रहा इसे विश्व बाजार अतुल व्यवस्था लड़खड़ा गई।

3. अमेरिकी पूंजी के प्रभाव में कमी – प्रथम विश्व युद्ध तक अमेरिका विश्व करदाता बन चुका था अनेक राष्ट्रों ने अमेरिका से सहायता से ऋण लेकर अपनी आवश्यकताएं पूरी की थी तथा विकास योजना में भी निवेश किया था।


आर्थिक महामंदी का प्रभाव


आर्थिक महामंदी से सभी राष्ट्र कमोबेश प्रभावित हुए यूरोपीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई यूरोप के अनेक बैंक रातों-रात बंद हो गए अनेक देशों की मुद्रा का अवमूल्यन हो गया ब्रिटिश पाउंड के मूल्य में भी कमी आई। लैटिन अमेरिका और अन्य स्थानों पर अनाज एवं कच्चे माल की कीमतें तेजी से घटने लगी अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अमेरिकी सरकार ने अमेरिका में आयातित सामानों पर सीमा शुल्क बढ़ाकर दोगुना कर दिया।
आयात कोई भी सीमित कर दिया व्यापक विश्व बाजार का स्थान संकुचित आर्थिक राष्ट्रवाद ने ले लिया।

अमेरिका का प्रभाव – 

• अधिक देशों में महामंदी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका पर ही पड़ा।
• मूड में गिरावट और मंदी के कारण अमेरिकी बैंकों ने घरेलू कर देना बंद कर दिया।
• बाजार में कृषि उत्पाद की बिक्री गिर गई लोग बेरोजगार हो गए।
• कर्जदार कर्ज चुकाने में विवश हो गए इसलिए उनकी चल अचल संपत्ति नीलाम कर दी गई।
• रोजगार की तलाश में लोग अपना घर छोड़कर दूर दूर तक जाने लगे।
• अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था को भी महामंदी का प्रकोप झेलना पड़ा बैंकों द्वारा किए गए निवेश से अपेक्षित लाभ नहीं मिला।
• हजारों बैंक रातों-रात दिवालिया हो गए अनेक आर्थिक कंपनियां बंद हो गई है अमेरिका में मंदी की चपेट में आ गया।

यूरोप पर प्रभाव – 

• आर्थिक महामंदी का बुरा प्रभाव यूरोप पर भी पड़ा।
• जर्मनी और ब्रिटेन इस से सबसे अधिक प्रभावित हुए।
• फ्रांस तो महा मंदी की मार झेल गया क्योंकि 1919 के वेयर इज शांति समझौते द्वारा उसे जर्मनी से भारी राशि युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में मिले।
• बेरोजगारी बढ़ गई लगभग 700000 लोग बेरोजगार हो गए।
• घमंडी ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया।
• 1929 के बाद ब्रिटिश औद्योगिक उत्पादन व्यापार निर्यात आयात तथा सामान्य जनता के जीवन स्तर में तेजी से गिरावट आई।
• लगभग 3500000 लोग बेकार हो गए हैं।
• महामंत्री के मारक प्रभाव से बचने के लिए ब्रिटेन ने बाजार अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल संरक्षणवाद जैसे कठोर आर्थिक उपाय किए इससे विश्व बाजार काफी प्रभावित हुआ।

भारत पर प्रभाव – आर्थिक महामंदी का प्रभाव विश्वव्यापी था। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। भारत पर इसके निम्नलिखित प्रभाव पड़े।

• कृषि उत्पादों के मूल्य में कमी – विश्व बाजार में कृषि उत्पादों के मूल्य में कमी आने से भारत में भी कृषि उत्पादों के मूल्य में गिरावट आई।

• किसानों की दयनीय स्थिति – महामंदी का सबसे बुरा प्रभाव किसानों पर पड़ा मूल्य में कमी आने तथा बिक्री कम हो जाने से उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय बन गई।

उन्हें अपना जीवन बसर करना कठिन हो गया वह लगान चुकाने में असमर्थ हो गए लेकिन सरकार ने 92 लगान की राशि घटाई और ना ही लगान माफी दी

• बंगाल के पटसन उत्पादों पर प्रभाव – महामंदी का प्रभाव सिर्फ अनाज गाने वाले छोटेे किसानों पर ही नहीं परा।

 बड़े काश्तकार जो निर्यात के लिए कच्चे माल का उत्पादन करते थेेेेेे उनकी स्थिति भी बिगड़ बिगड़ गई ।

• शहरी जनता पर प्रभाव – ग्रामीण क्षेत्रों के लोग महामंदी से बुरी तरह प्रभावित हुए वहीं शहरी वर्ग के लोग जमींदार मध्य वर्ग वेतनभोगी कर्मचारियों का वर्ग मंदिर से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुआ।

• सोने का निर्यात – महामंदी के दौरान भारत सेेेेेेेेेे ब्रिटिश सरकार सोने का निर्यात करने लगी। 

1931 तक महामंदिर चरम सीमा तक पहुंच चुके थे गांव में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई थी।

भूमंडलीकरण ( वैश्वीकरण )

भूमंडलीकरण अथवा वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व के सभी राष्ट्र राजनीतिक आर्थिक सामाजिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे से जुड़ गए

भूमंडलीकरण का आरंभ

भूमंडलीकरण शब्द का पहला आरंभ अमेरिका में हुआ 1990 में अमेरिका के जॉन विलियमसन ने सबसे पहले इस शब्द का अविष्कार किया।

भूमंडलीकरण के उदय के कारणों पर विभिन्न मध्य व्यक्त किए गए हैं अनेक विद्वानों का मानना है कि भूमंडलीकरण की प्रक्रिया किसी ना किसी रूप से मानव सभ्यता के विकास के साथ ही आरंभ हो गई।

शीत युद्ध से भी भूमंडलीकरण की गति धीमी पड़ी।
1944 में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का गठन किया जा चुका था।

1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई ( W.T.O )

Notes:- यह वेबसाइट आप को बिहार बोर्ड की पूरी तैयारी कराती हैं यहाँ आप को सभी वर्ग के जैसे 10th, 11th, 12th और 9th, 8th के वर्ग के notes मिलते है जिससे आप 10th और 12th में अच्छा कर पाएंगे।


Leave a comment